digitalgriot

आस्था केंद्र – सभी भक्तों की मनोकामना पूरी करती है माँ धारी देवी

राजेंद्र रावत

Sahara Darpan
Author: Sahara Darpan

आज हम आपको अवगत करा रहें हैँ आस्था के प्रतीक माँ धारी देवी मंदिर के इतिहास और शक्ति के बारे में l
माँ धारी देवी उत्तराखंड को देवभूमि की एक प्रसिद्ध देवी के रूप जाना और पूजा जाता है l जँहा भक्तों की आस्था और विश्वास की बानगी देखते ही बनती है l

दूरी की माने तो ये शक्ति पीठ दिव्य मंदिर दिल्ली से लगभग 360 कि 0 मी 0 श्री बद्रीनाथ केदारनाथ राजमार्ग उत्तराखंड के जिला पौड़ी गढ़वाल श्रीनगर के कल्यासौढ़ नमक स्थान के गांव धारी गांव को छूकर अविरल पावन नदी अल्कानंदा नदी के बीच स्थित है जिसकी सुंदरता देखते ही बनती है l यहां आप बस, ट्रेन द्वारा ऋषिकेश तक, हवाई मार्ग से देहरादून और अपने निजी वाहन से पहुँच सकते हैँ l

वैसे तो लिखत रूप से मंदिर का कोई साक्ष्य या प्रमाण नहीं है परन्तु स्थानीय निवासियों और पौराणिक परिचलित मान्यताओं के अनुसार माँ धारी देवी का यह मंदिर द्वापर युग से हैl

प्रचलित कथाओं के अनुसार अपने सात भाइयों की एक मात्र बहन थी l उनके भाइयों के लिए उनके ग्रह भारी थे परन्तु वे अपने भाइयों को बेहद प्रेम करती थीं l उनके साँवले रंग और ग्रह दशा के कारण उनके भाई उन्हें पसंद नहीं करते थे l माता पिता की मृत्यु के बाद एक एक कर उनके उनके पांच भाइयों की अकास्मात मृत्यु हो गई जिसका कारण बचे दो भाइयों और भाभियों ने अपनी इस बहन को माना और अपनी मृत्यु के डर से उन्होने योजना बना कर उनका गला काट कर हत्या कर उनके शरीर को नदी में बहा दियाl माता का शीश नदी में बहते देख किसी व्यक्ति को लगा की कोई बालिका नदी में बह रही है परन्तु नदी का उफान देख उसकी हिम्मत नहीं हुई तभी उस शीश से आवाज़ आई कि तू चिंता मतकर मैं देव रूप में हूँ तू नदी में आ मैं तेरे लिए सीढ़ी बना दूँगी तब वह व्यक्ति जिसने सोचा था कोई बालिका नदी में डूब रही है उसने पाया कि वह केवल उसका सिर मात्र है l कुछ समय तक शिला रुपी सीढ़िया दिखाई भी देती थीं जो अब जल मग्न हो गई l माता में कहा कि मुझे एक शिला पर स्थापित कर दो ग्रामवासियो ने मिलकर एक मंदिर में माँ के शीश को स्थापित कर दिया और उस दिन से पाण्डेय वंश के पुजारी देवी की पूजा करने लगे जो आज भी जारी है l धारी गांव में स्थित होने के कारण इसका नाम माँ धारी देवी पड़ गया l

माँ धारी देवी के मंदिर का दृश्य

मान्यताओं की माने तो माँ के बाकी शरीर (धड़ वाला हिस्सा ) कालीमठ मंदिर में स्थित है वहां भी उनकी माँ काली के रूप में पूजा होती है l

माँ की शक्ति या चमत्कार को माने तो उनकी ये मूर्ती दिन में तीन रूप बदलती है l सुबह एक बालिका, और दोपहर में युवती और संध्या में वृद्धा का रूप में प्रवर्तित हो जाती है और उनके रूप अनुसार ही उनका श्रृंगार व पूजन होता है l मान्यता अनुसार माँ के स्थान पर छत को खुला छोड़ा गया है l

लाल चुनर, श्रृंगार सामग्री और श्रीफल आदि प्रसाद माता को अर्पित किया जाता और लोग अपनी मनोकामना की प्राप्ति के लिए घंटी भी बांधते हैँ l कहा जाता है जो भी माँ का शांत स्वरुप सच्चे मन से मांगी मुरादों को पूरी करती है l

एक बार माँ की प्रतिमा को विद्युत परियोजना के कारण उनके मूल स्थान से हटाय गया l हाँलाकि इन बातों को विज्ञान नहीं मानता परन्तु वहां के लोगो ने इसका विरोध भी किया था l उनकी माने माता के क्रोध के चलते उस समय चार धाम को भयंकर आपदा का सामना करना पड़ा l जिसके बाद उन्हें पुनः इन बातों को विज्ञान नहीं मानता परन्तु वहां के लोगो ने इसका विरोध भी किया lउनके मूल स्थान पर फिर से स्थापित किया गया l मान्यता तो यह भी है कि माँ धारी देवी चारों धामों की रक्षक माता भी है l इसी कारण सभी भक्त चार धाम यात्रा आगमन या प्रस्थान करते हुए माँ का दर्शन व आशीर्वाद लेते हैँ l नवरात्रों में मंदिर में अत्यधिक संख्या में श्रद्धालु दर्शनार्थ आते हैँ l

माँ धारी देवी के दिव्य मंदिर के 50 कि0 मी0 के दायरे में अनेक प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर दर्शनीय व रमणीय स्थल है जिनमें देवप्रयाग – जहां अलकंनंदा और भागीरथी नदियों का संगम होता और इन दोनों नदियों से मिलकर ही माँ गंगा की उत्पत्ति होती है, कालीमठ मदिर, कंदौलिया महादेव मंदिर, क्यूंकिलेश्वर महादेव मंदिर व खिरसु प्रमुख हैँ l

यहाँ पर ठहरने के लिए होम स्टे, लॉज और होटल उपलब्ध हैँ और निकटम बाज़ार श्री नगर है जहां सभी सुविधाएं उपलब्ध है l

Sahara Darpan
Author: Sahara Darpan

Leave a Comment

Read More

5
आपका वोट

Do You Like Our Website?

READ MORE